RERA का परिचय और उद्देश्य
भारतीय रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता और ग्राहकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए RERA (Real Estate Regulatory Authority) की स्थापना की गई थी। इससे पहले, रियल एस्टेट डीलिंग्स में अक्सर ग्राहकों को धोखाधड़ी, प्रोजेक्ट डिले, और गलत वादों जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता था। ऐसे में RERA एक्ट 2016 लागू हुआ ताकि इन समस्याओं को हल किया जा सके।
RERA क्या है?
RERA एक सरकारी संस्था है जो रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स को रेगुलेट करती है। इसका मुख्य काम बिल्डर्स, एजेंट्स और खरीदारों के बीच पारदर्शिता बनाए रखना और सभी पक्षों के अधिकारों का संरक्षण करना है। हर राज्य में इसकी अलग-अलग शाखाएँ होती हैं, जैसे कि महाराष्ट्र RERA, उत्तर प्रदेश RERA आदि।
RERA के उद्देश्य
उद्देश्य | विवरण |
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पारदर्शिता बढ़ाना | प्रोजेक्ट से जुड़ी सभी जानकारियाँ सार्वजनिक प्लेटफॉर्म पर देना अनिवार्य बनाना |
ग्राहक संरक्षण | खरीदारों को उनके पैसे की सुरक्षा और समय पर पजेशन दिलाना |
रेगुलेशन लागू करना | बिल्डर्स और एजेंट्स को नियमों के दायरे में लाना ताकि वे किसी भी तरह की धोखाधड़ी न कर सकें |
शिकायत निवारण | ग्राहकों की शिकायतों का त्वरित समाधान प्रदान करना |
भारतीय रियल एस्टेट सेक्टर में RERA की भूमिका
RERA ने भारतीय रियल एस्टेट सेक्टर को एक नया रूप दिया है। अब ग्राहक बिना डर के घर खरीद सकते हैं क्योंकि उन्हें उनकी मेहनत की कमाई सुरक्षित रहती है। प्रोजेक्ट डिले, ओवरचार्जिंग या गलत वादे जैसी समस्याओं के लिए ग्राहक सीधे RERA पोर्टल पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं। इससे बिल्डर्स भी ज़िम्मेदार बन गए हैं और पूरे सेक्टर में विश्वास बढ़ा है। इस प्रकार, RERA का मुख्य फोकस ग्राहकों को सशक्त बनाना और रियल एस्टेट इंडस्ट्री में अनुशासन लाना है।
2. ग्राहक शिकायत के प्रकार
RERA (रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी) में कस्टमर ग्रिवांस रीसोल्यूशन प्रक्रिया का लाभ उठाने से पहले, यह जानना जरूरी है कि ग्राहक आमतौर पर किन-किन परेशानियों का सामना करते हैं। रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में कई बार वादा की गई सुविधाएँ नहीं मिलतीं, प्रोजेक्ट समय पर पूरा नहीं होता या फिर धोखाधड़ी जैसी समस्याएं होती हैं। नीचे दिए गए टेबल में प्रमुख प्रकार की शिकायतें और उनकी संक्षिप्त जानकारी दी गई है:
शिकायत का प्रकार | संभावित उदाहरण | ग्राहक को होने वाली परेशानी |
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पजेशन में देरी | समय पर फ्लैट/घर न मिलना | रेंटल खर्च, मानसिक तनाव, वित्तीय नुकसान |
धोखाधड़ी | गलत दस्तावेज़, झूठे वादे | कानूनी विवाद, संपत्ति का नुकसान |
वादा की गई सुविधाएँ न मिलना | स्विमिंग पूल, जिम आदि सुविधाएँ न मिलना | निराशा, कम वैल्यू फॉर मनी महसूस होना |
गुणवत्ता संबंधी समस्या | निर्माण सामग्री की घटिया क्वालिटी | बार-बार मरम्मत करवानी पड़ना, सुरक्षा जोखिम |
ओवरचार्जिंग या छुपे हुए चार्जेस | बुकिंग के बाद अतिरिक्त चार्जेस लेना | अचानक बढ़ा हुआ खर्च, बजट प्रभावित होना |
लीगल अप्रूवल्स में कमी | प्रोजेक्ट का RERA रजिस्ट्रेशन न होना या नकली NOC दिखाना | फ्यूचर में लीगल दिक्कतें, निवेश असुरक्षित होना |
एग्रीमेंट में पारदर्शिता की कमी | एग्रीमेंट में अस्पष्ट शर्तें या क्लॉजेस छिपाना | भविष्य में विवाद, उपभोक्ता अधिकारों का हनन |
इन सभी प्रकार की शिकायतों को RERA के तहत दर्ज किया जा सकता है और नियमानुसार समाधान पाने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। अगर आपको भी इनमें से किसी भी तरह की परेशानी हो रही है तो RERA प्लेटफार्म आपके हितों की रक्षा करता है।
3. शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया
RERA पोर्टल पर शिकायत कैसे दर्ज करें?
अगर आपको रियल एस्टेट प्रोजेक्ट या डेवेलपर से जुड़ी कोई समस्या है, तो आप RERA पोर्टल के माध्यम से शिकायत दर्ज कर सकते हैं। प्रक्रिया को आसान और पारदर्शी बनाने के लिए RERA ने ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों विकल्प उपलब्ध कराए हैं। नीचे हम विस्तार से बता रहे हैं कि शिकायत कैसे दर्ज करनी है:
ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया
- सबसे पहले अपने राज्य की RERA वेबसाइट पर जाएं।
- Complaint Registration या शिकायत पंजीकरण सेक्शन चुनें।
- अपना मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी डालकर रजिस्टर करें/लॉगिन करें।
- शिकायत फॉर्म में मांगी गई जानकारी भरें जैसे प्रोजेक्ट का नाम, डेवेलपर का नाम, आपकी समस्या का विवरण आदि।
- आवश्यक दस्तावेज़ अपलोड करें (नीचे देखें)।
- आवेदन शुल्क का ऑनलाइन भुगतान करें।
- फॉर्म सबमिट करें और रेफरेंस नंबर सुरक्षित रखें।
ऑफलाइन शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया
- अपने राज्य के RERA कार्यालय जाएं या वेबसाइट से शिकायत फॉर्म डाउनलोड करें।
- फॉर्म में सभी आवश्यक जानकारी भरें।
- सभी जरूरी दस्तावेज़ संलग्न करें।
- निर्धारित आवेदन शुल्क ड्राफ्ट/चेक के जरिए जमा करें।
- फॉर्म कार्यालय में जमा कर दें और रिसीप्ट लें।
आवश्यक दस्तावेज़ की सूची
दस्तावेज़ का नाम | प्रयोजन |
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आईडी प्रूफ (Aadhaar/PAN) | शिकायतकर्ता की पहचान के लिए |
प्रॉपर्टी सम्बंधित कागजात | बुकिंग रसीद, अलॉटमेंट लेटर आदि |
एग्रीमेंट कॉपी | बिल्डर व खरीदार के बीच समझौते का प्रमाण |
समस्या से जुड़े अन्य दस्तावेज़ | ईमेल संवाद, नोटिस आदि (यदि हो) |
आवेदन शुल्क विवरण
शिकायत प्रकार | आवेदन शुल्क (INR) |
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व्यक्तिगत शिकायतें | 1000 – 5000 (राज्य अनुसार अलग-अलग) |
समूह या एसोसिएशन द्वारा शिकायतें | 5000 – 25000 (राज्य अनुसार अलग-अलग) |
महत्वपूर्ण बातें:
- शिकायत दर्ज करने के बाद आपको एक रेफरेंस नंबर मिलेगा, जिससे आप अपनी शिकायत की स्थिति ट्रैक कर सकते हैं।
- हर राज्य की RERA वेबसाइट पर प्रक्रिया थोड़ी भिन्न हो सकती है, इसलिए हमेशा अपने राज्य की वेबसाइट चेक करें।
- ऑनलाइन प्रक्रिया तेज और पारदर्शी मानी जाती है, लेकिन जरूरत पड़ने पर ऑफलाइन विकल्प भी उपलब्ध है।
इस तरह से आप आसानी से RERA पोर्टल पर अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं और अपनी समस्या का समाधान पा सकते हैं।
4. फॉलो-अप और ट्रैकिंग
शिकायत की स्थिति कैसे ट्रैक करें?
RERA पोर्टल पर शिकायत दर्ज करने के बाद, यह जानना जरूरी है कि आपकी शिकायत की स्थिति क्या है। हर राज्य का RERA पोर्टल थोड़ा अलग हो सकता है, लेकिन सामान्यत: नीचे दिए गए स्टेप्स सभी राज्यों में लागू होते हैं:
स्टेप | विवरण |
---|---|
1 | आधिकारिक RERA वेबसाइट पर जाएं |
2 | ‘Track Complaint Status’ या ‘Complaint Status’ सेक्शन पर क्लिक करें |
3 | शिकायत संख्या (Complaint Number) डालें |
4 | कैप्चा कोड भरें और सबमिट करें |
5 | आपकी शिकायत की वर्तमान स्थिति स्क्रीन पर दिखाई देगी |
फॉलो-अप कब और कैसे करें?
अगर शिकायत की प्रक्रिया धीमी लगे या स्टेटस लंबे समय तक अपडेट न हो तो आपको खुद से फॉलो-अप करना चाहिए। यहां आसान तरीके दिए गए हैं:
1. ईमेल के माध्यम से फॉलो-अप
आप अपने राज्य के RERA ऑफिस को आधिकारिक ईमेल आईडी पर मेल भेज सकते हैं। मेल में अपनी शिकायत संख्या, तारीख और समस्या का संक्षिप्त विवरण जरूर दें।
2. कॉल करके जानकारी लें
हर RERA कार्यालय की हेल्पलाइन होती है। आप वहां कॉल करके अपनी शिकायत का स्टेटस पूछ सकते हैं। इससे आपको पता चल जाएगा कि आपकी कंप्लेंट किस स्टेज पर है।
3. पोर्टल पर रिमाइंडर सबमिट करें
कुछ राज्यों के RERA पोर्टल्स पर ‘Reminder’ या ‘Follow-up’ का विकल्प भी होता है। इसका इस्तेमाल कर सकते हैं ताकि आपकी शिकायत फिर से संबंधित अधिकारी के संज्ञान में आ जाए।
फॉलो-अप करते समय ध्यान रखने योग्य बातें:
- शिकायत संख्या हमेशा लिखें: हर पत्राचार या कॉल में अपनी कंप्लेंट नंबर जरूर दें।
- अधिकारियों से विनम्रता से बात करें: रुखा व्यवहार न रखें, इससे आपके काम में देरी हो सकती है।
- हर बार बातचीत का रिकॉर्ड रखें: तारीख, समय और किससे बात हुई – ये नोट कर लें।
- समय-समय पर अपडेट चेक करें: हफ्ते-दस दिन में एक बार स्थिति जरूर देखें।
अनुमानित प्रतिक्रिया समय (Indicative Timelines)
प्रक्रिया का चरण | औसतन लगने वाला समय (दिनों में) |
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शिकायत दर्ज करना | 1 दिन (ऑनलाइन) |
Status अपडेट/प्राथमिक जांच पूरी होना | 7-15 दिन |
SLA अनुसार अंतिम निर्णय आना* | 60 दिन (राज्य के अनुसार भिन्न हो सकता है) |
*SLA = Service Level Agreement; राज्य के नियम अनुसार समय सीमा बदल सकती है। अगर समय सीमा पार हो जाए तो अवश्य फॉलो-अप करें।
फॉलो-अप और ट्रैकिंग की यह प्रक्रिया अपनाकर आप अपने रियल एस्टेट विवादों के समाधान की राह को आसान बना सकते हैं और बेवजह की देरी से बच सकते हैं।
5. RERA द्वारा समाधान की प्रक्रिया
RERA में शिकायत दर्ज करने के बाद की प्रक्रिया
जब कोई ग्राहक अपनी शिकायत RERA (Real Estate Regulatory Authority) पोर्टल पर दर्ज करता है, तो उसके बाद एक निर्धारित प्रक्रिया शुरू होती है। यह प्रक्रिया पारदर्शी और समयबद्ध होती है, जिससे ग्राहकों को उचित न्याय मिल सके। नीचे दिए गए टेबल में हम सरल तरीके से समझ सकते हैं कि समाधान की पूरी प्रक्रिया कैसे चलती है।
चरण | विवरण | समय सीमा |
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1. शिकायत पंजीकरण | ग्राहक ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन करता है और सभी आवश्यक दस्तावेज़ जमा करता है। | तुरंत |
2. प्रारंभिक जांच | RERA अधिकारी शिकायत की वैधता एवं दस्तावेज़ों की जांच करते हैं। | 7-15 दिन |
3. नोटिस जारी करना | RERA द्वारा बिल्डर/डवलपर को नोटिस भेजा जाता है और जवाब माँगा जाता है। | 15-30 दिन |
4. सुनवाई प्रक्रिया | दोनों पक्षों (ग्राहक और बिल्डर) को सुनवाई के लिए बुलाया जाता है। दोनों की बातें सुनी जाती हैं। | 30-60 दिन |
5. निर्णय एवं आदेश जारी करना | RERA अधिकारी सबूतों के आधार पर फैसला सुनाते हैं और ज़रूरत पड़ने पर सज़ा या मुआवज़ा तय करते हैं। | 60-90 दिन के भीतर आम तौर पर निर्णय हो जाता है। |
6. अनुपालन जांचना | निर्णय के बाद यह देखा जाता है कि बिल्डर ने आदेश का पालन किया या नहीं। यदि पालन नहीं होता, तो सख्त कार्रवाई हो सकती है। | – |
शिकायत की सुनवाई एवं जवाबदेही कैसे तय होती है?
सुनवाई: सुनवाई के दौरान ग्राहक और बिल्डर दोनों को अपना पक्ष रखने का पूरा मौका मिलता है। दोनों पक्ष अपने दस्तावेज़, सबूत और बयान प्रस्तुत कर सकते हैं। RERA अधिकारी निष्पक्ष रूप से मामले की जाँच करते हैं।
जवाबदेही: यदि बिल्डर दोषी पाया जाता है, तो उस पर जुर्माना लगाया जा सकता है, लाइसेंस रद्द हो सकता है या ग्राहक को मुआवज़ा देने का आदेश दिया जा सकता है। इससे बिल्डरों में जवाबदेही आती है और ग्राहक के अधिकार सुरक्षित रहते हैं।
समस्या का समाधान: RERA का मुख्य उद्देश्य ही यही है कि ग्राहकों को समय पर और न्यायपूर्ण समाधान मिले ताकि उनकी मेहनत की कमाई सुरक्षित रहे और उन्हें मानसिक शांति मिल सके।
यदि आपको भी प्रॉपर्टी से संबंधित कोई समस्या हो रही है, तो RERA पोर्टल पर शिकायत दर्ज करें – यह आपकी सुरक्षा के लिए ही बनाया गया कानून है।
6. न्यायिक अपील और आगे के कदम
अगर कोई ग्राहक RERA (Real Estate Regulatory Authority) के फैसले से संतुष्ट नहीं है, तो उसके पास आगे अपील करने के लिए कई मंच होते हैं। नीचे दिए गए टेबल में बताया गया है कि आप किस स्तर पर अपील कर सकते हैं और उसकी प्रक्रिया क्या है:
मंच का नाम | अपील की प्रक्रिया | जरूरी दस्तावेज़ |
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RERA अपीलेट ट्रिब्यूनल | RERA के निर्णय के 60 दिनों के अंदर लिखित अपील दायर करें | RERA आदेश की कॉपी, एप्लीकेशन फॉर्म, फीस रसीद |
हाई कोर्ट | अगर ट्रिब्यूनल के फैसले से भी संतुष्ट नहीं हैं, तो हाई कोर्ट में 60 दिनों के भीतर अपील कर सकते हैं | ट्रिब्यूनल आदेश की कॉपी, अन्य संबंधित दस्तावेज़ |
सुप्रीम कोर्ट | विशेष मामलों में हाई कोर्ट के निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं | हाई कोर्ट आदेश की कॉपी, पिटीशन, अन्य आवश्यक कागजात |
अपील दायर करने के स्टेप्स
- आवेदन तैयार करना: अपने शिकायत से जुड़े सभी डॉक्यूमेंट्स एकत्रित करें।
- समय सीमा का ध्यान रखें: हर लेवल पर अपील दायर करने की एक निश्चित समय सीमा होती है (जैसे 60 दिन)।
- फीस जमा करना: संबंधित मंच पर निर्धारित फीस जमा करें।
- ऑनलाइन/ऑफलाइन आवेदन: अधिकतर राज्य RERA पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन सुविधा देते हैं, अन्यथा संबंधित कार्यालय में जाएं।
- फॉलो-अप: अपने केस की स्थिति को समय-समय पर चेक करते रहें। जरूरत पड़ने पर वकील की मदद लें।
महत्वपूर्ण बातें जो ध्यान रखनी चाहिए:
- हर स्टेप पर समय सीमा का पालन बहुत जरूरी है। विलंब होने पर आपकी अपील खारिज हो सकती है।
- सभी डॉक्यूमेंट्स सही और पूरे होने चाहिए। कोई भी अधूरी जानकारी आपके केस को कमजोर बना सकती है।
- अगर मामला जटिल हो तो अनुभवी वकील या लीगल एक्सपर्ट की सलाह लें।
- राज्य के हिसाब से प्रक्रियाओं में थोड़ा बदलाव हो सकता है, इसलिए अपने राज्य की RERA वेबसाइट जरूर देखें।
इस तरह अगर ग्राहक को RERA अथॉरिटी के फैसले से संतुष्टि नहीं मिलती, तो वह नियमानुसार अगली उच्च अदालतों में अपील कर सकता है और न्याय पा सकता है।